भगवान् ने हमें वो सब कुछ दिया है जिसकी आवश्यकता हमें इस मानव जीवन में पड़ती है लेकिन इसके बावजूद भी हमें प्रभु से शिकायत रहती है की प्रभु आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया , आपने मेरे साथ वैसा क्यों किया, आपने मुझे ये क्यों नही दिया, मुझे वो क्यों नही दिया। लेकिन इतना सब कुछ देने के बाद क्या प्रभु ने कभी हमसे शिकायत की है की मैंने जिस कार्य के लिए तुम्हे ये मानव जीवन दिया है क्या तुम वो कार्य कर रहे हो। क्या हम धर्म की राह पर चल रहे हैं, क्या हम धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे नही लेकिन फिर भी प्रभु हमारा कल्याण करने के लिए, हमें दर्शन देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं पर इससे पहले हमारे मन में प्रभु के लिए सच्ची श्रध्दा और विश्वास होना चाहिए।
उक्त विचार पूज्य महाराज श्री ने अनन्त श्री विभूषित महंत पूज्य श्री नृत्यगोपाल दास जी महाराज के 78वें जन्मदिवस के शुभावसर पर प्रभु श्री राम की पावन जन्म स्थली अयोध्या में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा के विराम दिवस में व्यक्त किए।
महाराज श्री ने कहा ये मानव जीवन हमें बार -बार नहीं मिलता इसका हमें दुरूपयोग नहीं अपितु सदुपयोग करना चाहिए। आज हमारे देश में गंगा ,यमुना ,गाय कुछ भी सुरक्षित नहीं है क्यों ? क्योंकि आज हम अपनी संस्कृति को भूलकर संसार की मोहमाया में लिप्त हो चुके हैं। जिस कार्य के लिए भगवान ने हमें ये मानव जीवन दिया है उससे हम भटक चुके हैं। हमारे देश को आज ऐसे युवाओं की जरुरत है जो अपने धर्म का प्रचार करने में बढ चढ़कर हिस्सा लें और भगवान को भी ऐसे ही लोग प्रिय हैं जो अपने धर्म को बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हों और आज के युवा ही हमारे आने वाले कल का भविष्य हैं।इसलिए हमें अपने साथ अपने बच्चों को भी कथा श्रवण करवाने अवश्य लाना चाहिए।
आज की कथा में पूज्य ठाकुर जी महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सभी भक्तों को विस्तार पूर्वक स्मरण करवाई और कहा आज हमारा कोई भी मित्र सुदामा जैसा नहीं हो सकता। आज की इस दुनिया के हमारे सभी मित्र भोगी और लालची हैं तो हम ऐसे मित्रों को क्यों अपना बनाये जो हमें धर्म से अधर्म की ओर ले जाएँ ,सभ्य रास्ते पर ले जाने की बजाय असभ्य रास्ते की ओर ले जाएँ। इसलिए हमें दुनिया के लोगों को अपना मित्र बनाने की बजाय सर्वेश्वर श्री कृष्ण भगवान को अपना बनाना चाहिए। अंत में कथा के मुख्य यजमान के साथ सभी भक्तों ने भागवत जी की विदाई की और विदाई में सभी ने अपनी बुराइयाँ भागवत जी पर समर्पित कर आगे से धर्म के रास्ते पर चलने की कसम खाई।
आज कथा में पधारे पूज्य श्री सतुआ बाबा(संतोषदास जी) महाराज, पूज्य श्री फूलडोल दास जी महाराज एवं नीलकंठ कल्याण दास जी महाराज आदि संत महात्माओं ने कथा में पधारकर उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्तों को अपने आशीर्वचन दिए।
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