Saturday, 13 August 2016

कभी भी अभिमान न करें - श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज

Shrimad Bhagwat Katha - Darbhanga, Bihar
षष्टम दिन (7-14 Aug. 2016)
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज
राधे राधे...

Shrimad Bhagwat Katha - Darbhanga, Bihar षष्टम दिन (7-14 Aug. 2016) 
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज
राधे राधे...
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज के पावन सानिघ्य में कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय खेल मैदान दरभंगा में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा के अन्तर्गत कल कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाने के बाद पूज्य महाराज श्री ने आज सभी भक्तों को षष्टम दिवस की कथा श्रवण कराई और प्रभु श्री कृष्ण की बाल-लीलाओं का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया।
कथा प्रारम्भ करने से पहले मुख्य यजमान श्री श्याम बाबा उत्सव परिवार ने परिवार सहित व्यास पूजन व आरती कर आर्शीवाद प्राप्त किया।

कथा क्रम की शुरूआत एक सुन्दर भजन से की जिसके बोल है। तुम पग-पग पे समझाते हम फिर भी नही समझ ना पाते 
ये कैसा दोष हमारा हम करते - करते जाते।

कथा प्रसंग को प्रारम्भ करते हुए पूज्य महाराज श्री ने कहा कि जल के अन्दर भी भगवान है जल के बाहर भी भगवान है उसके बिना इच्छा के एक पत्ता भी नही हिल सकता। जिसने धरती की रचना की हमें उसी पर भरोसा नही, सन्त भगवान नही होते वे तो धर्म के गुरू है। एक कृष्ण ही ऐंसे गुरू है जिन्होंने पूरे विश्व को गीता का सार दिया।
रसखान ने बारह साल भारत में बिताये और अध्यात्म ग्रहण कर धर्म प्रचार किया।
महाराज श्री कहते है कि इस संसार रूपी दुनिया में कोई भी सर्व गुण सम्पन्न नही है मानव जीवन सिर्फ काम के लिए नही है बल्कि मानव जीवन धर्म को बढ़ावा देने के लिए मिला है भगवान की भक्ति, भजन के लिए है। आप सभी के पास दो रास्ते है माया और माधव जो आये है उन्होंने माधव का रास्ता चुना है और जो जीव पुरूष कथा को श्रवण के लिए नही आये है। उन्होंने माया का रास्ता चुना है। कथा पंडाल में ऐसे युवा ऐसे मानव जीव जिन्होंने कथा श्रवण के बाद धर्म और कर्म दोनों का एहसास हुआ है। 

महाराज श्री कहते है कि जो श्री कृष्ण भगवान देवकी की कोख से जन्में लेकिन यशोदा माता का दूध पीया ये सब एक संत महात्मा का आर्शीवाद था। 

महाराज श्री ने महिलाओें के सम्मान में कहा कि हमारे देश के लिए गौरव की बात है महिलाओं देवीयों का सम्मान।
पूज्य ठाकुर जी ने कहा हमें भगवान की भक्ति बिना कोई दिखावा करनी चाहिए क्योंकि जब पूतना अपना रूप बदलकर कृष्ण भगवान को मारने आई तो प्रभु ने अपनी आॅखें बंद कर ली थी उसी प्रकार जब हम सब किसी भी प्रकार का दिखावा करके भगवान की वंदना करते है तो भगवान हमारी वंदना को स्वीकार नहीं करते अगर हम सच्ची श्रृध्दा और बिना कोई दिखावा किए प्रभु की भक्ति करते है। तो प्रभु हमें अपनी छत्रछाया में लेकर हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी मृत्यु को भी संवार देते है। पूज्य श्री कहते है कि जब हमारा भगवान पर से विश्वास उठ जाता है। तो समझ लो तुम्हें मोह माया ने घेर लिया है। ठाकुर श्री कहते है कि स्वच्छता अपनायें अपना घर , शहर ,देश स्वच्छ बनायें। वैसे तो मै प्रधान मंत्री का बहुत बड़ा सपोर्टर नही हू लेकिन हू। यह देश के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश में स्वच्छता अभियान चलाया है। ठाकुर श्री ने प्रधानमंत्री जी को आग्रह करते हुए भक्तों को समझाते हुए कहा कि देश में एक ऐंसा कानून बनायें जो गउ हित के लिए हो। महाराज श्री ने मानव जीव की वाणी के लिए कहा कि वो वाणी महान नही जो गंदे-गंदे शब्द के साथ बोली जाती है बल्कि वाणी वो महान है जो सुन्दर - सुन्दर भजन बन कर मुख से बाहर आये। पैर वो महान है जो मेरे प्रभु के भजन पर थिरकें। 

कथा के अंतर्गत श्री गिर्राज जी महाराज की सुन्दर- सुन्दर झांकी के दर्शन किये व गोवर्धन की मानसिक परिक्रमा भी लगाई 
षष्टम दिवस के कथा प्रसंग में ठाकुर जी ने बताया जब ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की तब कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे प्रभु मैं भूल गया था की मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ आप का ही दिया हुआ है इससे हमें यह सीख मिलती है कि आज हमारे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ हमें भगवान का ही दिया हुआ है उस पर हमें अभिमान नहीं बल्कि भगवान का प्रसाद समझकर स्वीकार करना चहिए। 

अंत में कथा के मुख्य यजमान श्री ने परिवार सहित गिर्राज भगवान का पूजन कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
कल की कथा में कृष्ण-रुक्मणी विवाह बडे़ ही सुन्दर ढंग से मनाया जाएगा अतः अधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर प्रभु के विवाह में सम्मिलित हों।


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