भगवान् से क्या मांगना चाहिए? भगवान् से हमें मांगना चाहिए की हे प्रभु ये दुनिया भले ही हम से रूठ जाए लेकिन आप हम पर ऐसी कृपा हमेशा बनाये रखना की आपकी भक्ति आपका नाम रूपी धन हमसे कभी ना छूटने पाए ताकि हम इस सांसारिक मोहमाया रूपी दलदल में फँस न जाएं। मानव जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य भगवत प्राप्ति होना चाहिए लेकिन मानव जीव इस मानव जीवन को सांसारिक मोहमाया में फँसकर व्यर्थ ही गवां देता है वो ये भूल जाते हैं की ये सांसारिक वस्तुएं हमें शारीरिक सुख तो प्रदान कर सकती हैं लेकिन आंतरिक सुख प्रदान नहीं कर सकतीं। आंतरिक सुख और शांति हमें सिर्फ और सिर्फ प्रभु की भक्ति से मिल सकती है। उक्त विचार पूज्य महाराज श्री ने अनन्त श्री विभूषित महंत पूज्य श्री नृत्यगोपाल दास जी महाराज के 78वें जन्मदिवस के शुभावसर पर प्रभु श्री राम की पावन जन्म स्थली अयोध्या में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में व्यक्त किए।
महाराज श्री ने कहा कि कलयुगी मानव सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना रहता है। वह सत्संग में जाता है सत्संग की बातें उसे अच्छी भी लगती हैं लेकिन फिर भी उन बातों को वह अपने जीवन में नहीं उतारता। वह जनता है की धर्म क्या है लेकिन फिर भी धर्म की राह पर नही चलता। जब हम सत्संग की बातों को जीवन में नही उतारेंगे, धर्म की राह पर नहीं चलेंगे तो हमारा आत्मकल्याण असंभव है। हम इसी जीवन-मरण के चक्र में घूमते रहेंगे। अगर हमें अपना आत्मकल्याण करना है, मोक्ष की प्राप्ति करनी है, प्रभु के श्री चरणों की सेवा प्राप्त करनी है तो वह इसी मानव जीवन में संभव है क्योंकि प्रभु की भक्ति सिर्फ इसी मानव जीवन में संभव है किसी और जीवन में नहीं।
कल कथा का चतुर्थ दिवस है जिसमे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा।
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