जिसे अपने हिन्दू होने पर नाज हो वो अयोध्या में आकर एक बार प्रभु श्री राम की पावन जन्म भूमि के दर्शन अवश्य करे उसका सर शर्म से झुक जायेगा क्योंकि प्रभु श्री राम आज भी टेंट के नीचे विराजमान हैं और हम अपने घरों में बड़ी शान से रह रहे हैं। आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम प्रभु का घर तैयार नहीं कर पाए हैं अरे इससे अच्छा तो तब रहता जब हम गुलाम ही रहते। ये हम हिंदुओं के लिए डूब मरने वाली बात है। किसे नहीं पता की प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था तो फिर क्यों हम मंदिर बनाने में असमर्थ हैं। इसके लिए हम किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते क्योंकि हम हिन्दू ही अपने धर्म के प्रति वफादार नहीं है बस एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं। एक बात याद रखना यदि अब भी हम सजग नहीं हुए तो हिंदुस्तान तो रहेगा पर हिन्दू नहीं रहेगा। धर्म का मतलब यह नहीं की मंदिर गए पूजा की और भगवान से अपने स्वार्थ की वस्तुएं मांग कर चले आए। जितनी चर्चाएं हम अपने घर की करते हैं अगर उसकी आधी भी अपने धर्म की कर ले तो पुरे विश्व में किसी की इतनी हिम्मत नहीं की हमारे धर्म के विरुद्ध एक शब्द बोल सके। खतरनाक वो नहीं जो धर्म के प्रति बुरा बोलते हैं बल्कि खतरनाक तो वो हैं जो धर्म के विरुद्ध चुपचाप सुन लेते हैं। उक्त विचार पूज्य महाराज श्री ने अनन्त श्री विभूषित महंत पूज्य श्री नृत्यगोपाल दास जी महाराज के 78वें जन्मदिवस के शुभावसर पर प्रभु श्री राम की पावन जन्म स्थली अयोध्या में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में व्यक्त किए।
महाराज श्री ने कहा की हमें भगवान की भक्ति बिना कोई दिखावा किए करनी चाहिए क्योंकि जब पूतना अपना रूप बदलकर कृष्ण भगवान को मारने आई तो प्रभु ने अपनी आँखें बंद कर ली थी उसी प्रकार जब हम किसी भी प्रकार का दिखावा करके भगवान की वंदना करते हैं तो भगवान हमारी वंदना को स्वीकार नहीं करते। अगर हम सच्ची श्रद्धा और बिना कोई दिखावा किए प्रभु की भक्ति करते हैं तो प्रभु हमें अपनी छ्त्रछाया में लेकर हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी मृत्यु को भी सवांर देते हैं।
आज के कथा प्रसंग में ठाकुर जी ने प्रभु की नटखट बाल लीलाओं को बड़े ही सुन्दर ढंग सभी भक्तों को श्रवण कराया और आज ही सभी भक्तो ने गिर्राज भगवान के दर्शन किए व गोवर्धन की मानसिक प्ररिक्रमा भी लगाई। अंत में कथा के मुख्य यजमान श्री ने सह-पत्नी गिर्राज भगवान का पूजन कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
कल की कथा में कृष्ण-रुक्मणी विवाह बडे ही सुन्दर ढंग से मनाया जाएगा अत:अधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर प्रभु के विवाह में सम्मिलित हों।
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