Thursday, 16 June 2016

निर्जला एकादशी के दिन गोदान का विशेष महत्त्व


निर्जला एकादशी के दिन गोदान काविशेष महत्त्व है।

निर्जला एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले यानि दशमी के दिन से ही नियमों का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन "ॐ नमो वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्त्व होता है । अगर व्यक्ति एकादशी को सूर्य उदय से लेकर द्वादशी के सूर्य उदय तक जल ग्रहण न करे तो उसे सारी एकदहियों का फल प्राप्त होता है। द्वादशी को सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान आदि करके ब्राह्मणों को दान आदि देना चाहिए। इसके पश्चात् भूखे और सत्पात्र ब्राह्मण को भोजन कराकर फिर आप भोजन कर लेना चाहिए। इसका फल पुरे एक वर्ष की सम्पूर्ण एकादशियों के बराबर होता है। 

व्यास जी कहते हैं हे भीमसेन यह मुझको स्वयं भगवान् ने बताया है। इस एकादशी का पुण्य समस्त तीर्थों व दानो से अधिक है। केवल एक दिन मनुष्य निर्जला रहने से पापों से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें मृत्यु के समय यम के दूत आकर नहीं घेरते बल्कि उन्हें भगवान् के पार्षद पुष्पक विमान में बैठाकर स्वर्ग ले जाते हैं। अतः संसार में सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत है।

॥ राधे - राधे ॥  बोलना पड़ेगा - और प्रेम से बोलना पड़ेगा

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